
लिथुआनिया की संसद ने 44 वर्षीय इंगा रुगीनीने को देश की नई प्रधानमंत्री चुना है. वह पेशे से मजदूर संघ की नेता रही हैं और राजनीति में अपेक्षाकृत नया चेहरा मानी जाती हैं. संसद में हुए मतदान में उन्हें 78 वोट मिले, जबकि 35 सांसदों ने उनके खिलाफ मतदान किया
संयुक्त राष्ट्र के आँकड़ों के मुताबिक यूरोप में 44 देश हैं. इनमें से अक्सर चर्चा फ्रांस, जर्मनी और इटली जैसे बड़े देशों की ही रहती है. लेकिन इन्हीं के बीच एक छोटा-सा देश, लिथुआनिया हाल ही में सुर्खियों में आया है. यूरोपीय संघ और नाटो का सदस्य है और रूस की सीमाओं से सटा हुआ देश है. चर्चा में आने की वजह है नई प्रधानमंत्री का चुनाव.
लिथुआनिया की संसद ने 44 वर्षीय इंगा रुगीनीने को देश की नई प्रधानमंत्री चुना है. वह पेशे से मजदूर संघ की नेता रही हैं और राजनीति में अपेक्षाकृत नया चेहरा मानी जाती हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं सबकुछ विस्तार से.
कैसे बनीं प्रधानमंत्री?
पूर्व प्रधानमंत्री गिन्तौतस पालुकस को अपने कारोबारी और वित्तीय सौदों को लेकर जाँच और मीडिया रिपोर्टों के बाद इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ने इंगा रुगीनीने का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए आगे बढ़ाया. संसद में हुए मतदान में उन्हें 78 वोट मिले, जबकि 35 सांसदों ने उनके खिलाफ मतदान किया.
मजदूर आंदोलन से सत्ता के शिखर तक
इंगा रुगीनीने का राजनीतिक करियर अभी शुरुआती दौर में है. उन्होंने 2023 के आम चुनावों से ठीक पहले केंद्र-वामपंथी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी जॉइन की थी. पार्टी ने उन्हें समाजिक सुरक्षा और श्रम मंत्री बनाया, जहाँ उन्होंने अपने अनुभव का इस्तेमाल किया. राजनीति में आने से पहले वह लिथुआनिया के मजदूर संघ महासंघ की अध्यक्ष रह चुकी हैं और यूरोपीय मजदूर संगठनों में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं.
रूस यूक्रेन से खास कनेक्शन
24 मई 1981 को त्राकाई में रुगीनीने का जन्म हुआ था. उन्होंने बचपन का ज्यादातर समय राजधानी विल्नियस में बिताया. गर्मियों की छुट्टियों में वे अक्सर पूर्वी यूक्रेन के शहर क्रामातोर्स्क जाया करती थीं, जहाँ उनके परिवार के रिश्तेदार रहते थे. यही वजह है कि उनके जीवन की जड़ें लिथुआनिया, यूक्रेन और रूस तीनों जगहों से जुड़ी रही हैं. हालांकि रुगीनीने रूस की आक्रामक नीतियों की आलोचना करती रही हैं और यूक्रेन के समर्थन में आवाज उठाती रही हैं.
जासूसी किताबें पढ़ना है पसंद
राजनीति से इतर रुगीनीने को पढ़ने का शौक है. उन्हें खासतौर पर जासूसी और रहस्य-रोमांच वाली किताबें पसंद हैं. उन्होंने द लिटिल प्रिंस को अपनी प्रिय पुस्तकों में गिना है. इसके अलावा वे ट्रैवलिंग और पेंटिंग को भी समय देती हैं, जो उन्हें व्यस्त राजनीतिक जीवन से राहत दिलाते हैं.
मजबूत बहुमत, स्थिरता की चुनौती
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ने सोमवार को दो अन्य दलों के साथ मिलकर नई गठबंधन सरकार बनाने का समझौता किया है. इस गठबंधन को संसद (सीमास) में 141 में से 82 सीटों का समर्थन हासिल है. अब नई प्रधानमंत्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती है सरकार को स्थिरता की ओर ले जाना और मतदाताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरना. उन्हें अगले 15 दिनों में सरकार का कार्यक्रम संसद में पेश करना होगा, जिसमें सुरक्षा, आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे.