
रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगातार चौथे दिन मजबूत रहा और विदेशी मुद्रा बाजार में जोरदार वापसी की. घरेलू शेयर बाजार में बढ़त और भारत-चीन के बीच सुधरे रिश्तों के चलते रुपये ने 86.93 तक तेजी दिखाई. निवेशकों की उम्मीदें बढ़ीं, लेकिन आगे की दिशा अमेरिका की फेडरल रिजर्व की नीतियों पर निर्भर रहेगी.
करेंसी मार्केट में रुपए ने जबरदस्त कमाल किया है, जिससे डॉलर की बोलती बंद हो गई. रुपए ने लगातार चौथे दिन तेजी दिखाई है. कल रुपए ने शुरुआत में थोड़ा दबाव देखा, लेकिन फिर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6 पैसे मजबूत होकर 87.07 (अनंतिम) पर बंद हुआ. आज यानी गुरुवार को भी रुपया जबरदस्त वापसी करते हुए शुरुआत में ही 14 पैसे मजबूत होकर 86.93 तक पहुंच गया. इसका मतलब है कि अब एक डॉलर खरीदने के लिए कम रुपये देने पड़ेंगे. रुपए की इस मजबूती का कारण घरेलू शेयर बाजार की बढ़त और दुनियाभर में बने सकारात्मक माहौल को माना जा रहा है. व्यापारियों का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच शांति की उम्मीदें बनी हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और इसका सीधा असर रुपये की कीमत पर पड़ा है.
रुपये ने तोड़ी पिछली रुकावट
रुपया फिर से पिछली रुकावट तोड़ने में कामयाब रहा है. विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये ने दिन की शुरुआत 87.04 से की, लेकिन जल्दी ही मजबूत होकर 86.93 तक पहुंच गया. बुधवार को यह 87.07 पर बंद हुआ था. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रुपया 86.95 से नीचे गिरता है, तो यह और मजबूत होकर 86.80 तक जा सकता है. लेकिन अगर फिर ऊपर बढ़कर 87.10 के पार चला जाता है, तो 87.40 तक भी पहुंच सकता है. सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पाबारी कहते हैं, “डॉलर अभी भी दुनिया भर में मजबूत है और विदेशी निवेशक भी पैसा निकाल रहे हैं, जिससे रुपये पर थोड़ा दबाव बना हुआ है. लेकिन भारत और चीन के बीच हाल में रिश्तों में थोड़ी नरमी आई है, जिससे रुपये को सहारा मिल सकता है
भारत-चीन की दोस्ती ने दी रुपये को मजबूती
रुपए की मजबूती के पीछे एक और बड़ी वजह भारत-चीन के बीच बातचीत भी है. हाल ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत आए थे. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत की. चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों ने सीमा को लेकर नई समझ बनाई है और आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति हुई है. इसके अलावा, दुनिया के बड़े मुद्दों पर साथ मिलकर काम करने की बात भी हुई है. इससे बाजार को ये साफ संदेश मिला कि भारत और चीन के रिश्ते सुधर रहे हैं, जो रुपये के लिए एक अच्छा संकेत है.
अमेरिका की फेड नीति से तय होगी चाल
अब सभी की नजरें अमेरिका की फेड की नीति पर टिकी हैं. रुपये में अभी मजबूती दिख रही है, लेकिन आगे की चाल काफी हद तक अमेरिका के फैसलों पर निर्भर करेगी. अमेरिका की फेडरल रिजर्व (फेड) की अगली बैठक 16-17 सितंबर को होने वाली है. उससे पहले, इस शुक्रवार को फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल जैक्सन होल में अपना भाषण देंगे. अगर पॉवेल ने ब्याज दरें घटाने की उम्मीद के उलट सख्त बयान दिए, तो डॉलर फिर से मजबूत हो सकता है, जिसका असर रुपये पर भी पड़ेगा.
इस बीच, डॉलर सूचकांक जो दुनिया की 6 बड़ी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत बताता है 0.08% बढ़कर 98.30 पर पहुंच गया है. वहीं तेल की बात करें तो ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.37% बढ़कर 67.09 डॉलर प्रति बैरल हो गई है. इसके पीछे वजह रूस पर लगे प्रतिबंध और अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में आई भारी कमी है