
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर ने भारत के शेयर बाजार में ऐसा बवाल मचाया कि निवेशकों के 5.63 लाख करोड़ रुपए डूब गए. सेंसेक्स और निफ्टी में शेयर बाजार बंद होने तक 1 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. जहां देश की सबसे बड़ी कंपनी के शेयरों में करीब 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. वहीं दूसरी ओर फार्मा कंपनी सन फार्मा में 3.40 फीसदी और टाटा स्टील के शेयरों में करीब 3 फीसदी की गिरावट देखी गई. वास्तव में ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से 25 फीसदी एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने का ऑर्डर जारी कर दिया है.
ये टैरिफ देर रात 12 बजे के बाद लागू हो जाएगा. वैसे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा कि ट्रंप के टैरिफ का जवाब दिया जाएगा. साथ ही इस टैरिफ का भारत पर कोई असर देखने को नहीं मिलेगा. वास्तव में फार्मा और स्टील पर लगने वाले एडिशनल टैरिफ से शेयर बाजार को ज्यादा नुकसान हुआ है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर शेयर बाजार में किस तरह के आंकड़े देखने को मिले हैं? साथ ही शेयर बाजार के डूबने के और कौन-कौन से कारण हैं?
शेयर बाजार में बड़ी गिरावट
मंगलवार को शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. आंकड़ों को देखें तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स एक फीसदी से ज्यादा यानी 849.37 अंकों की गिरावट के साथ 80,786.54 अंकों पर बंद हुआ. जबकि कारोबारी सत्र के दौरान सेंसेक्स 949.93 अंकों की गिरावट के साथ 80,685.98 अंकों पर चला गया था. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में सेंसेक्स और गिरावट देखने को मिल सकती है.
वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुचख सूचकांक निफ्टी 255.70 अंकों की गिरावट के साथ 24,712.05 अंकों पर बंद हुआ. जबकि कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी में 278.15 अंकों की गिरावट देखने को मिली थी और निफ्टी 24,689.60 अंकों के साथ दिन के लोअर लेवल पर आ गया था. वैसे कारोबारी सत्र के दौरान एक समय ऐसा भी आया था जब सेंसेक्स और निफ्टी में रिकवरी की उम्मीद जगी थी. लेकिन शेयर बाजार बंद होने से करीब एक घंटा पहले सेंसेक्स और निफ्टी डीप डाइव शुरू हो गया.
इन शेयरों में देखी गई बड़ी गिरावट
निफ्टी में तीसरा सबसे बड़ा हिस्सा रखने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज मंगलवार को 2 फीसदी से ज्यादा टूट, जिससे प्रमुख क्षेत्रों में बिकवाली के कारण सूचकांक नीचे चला गया. फाइनेंशियल शेयरों में 1.4 फीसदी की गिरावट आई, जबकि एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसी बैंक जैसे बड़े शेयरों में 0.8 फीसदी से 1.5 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई. फार्मास्युटिकल्स शेयरों में 1.7 फीसदी की गिरावट आई, जबकि सन फार्मा जैसे बड़े शेयरों में 3 फीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई. बैंक ऑफ अमेरिका ने प्रीमियम वैल्यूएशन के रिस्क का हवाला देते हुए इस शेयर को ‘अंडरपरफॉर्म’ की रेटिंग दी थी.
कंज्यूमर शेयर एकमात्र आकर्षक का केंद्र रहे, जिसमें निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स 0.8 फीसदी बढ़ा. इस बीच, कपड़ा, कैमिकल और झींगा उत्पादकों को भी नुकसान हुआ, जिन्हें नए अमेरिकी टैरिफ उपायों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील माना जाता है. सिंगल शेयरों में, वोडाफोन आइडिया में 10 फीसदी तक की गिरावट आई. ऐसी खबरें थीं कि सरकार द्वारा इसके लंबे समय से बकाए पर और राहत देने की संभावना नहीं है. ब्रॉडर मार्केट भी दबाव में आ गए, मिड-कैप शेयरों में 1.6 फीसदी और स्मॉल-कैप शेयरों में 2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली.
शेयर बाजार में गिरावट के प्रमुख कारण
अमेरिकी टैरिफ आधी रात से लागू :राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीद से जुड़े भारतीय निर्यात पर अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद बाजारों में गिरावट आई, जिससे मौजूदा टैरिफ दोगुना होकर 50 फीसदी हो गया. भारतीय निर्यातकों को अब दुनिया भर में सबसे ज़्यादा अमेरिकी शुल्कों का सामना करना पड़ रहा है, जो वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रतिद्वंद्वियों से कहीं ज्यादा है, इसलिए निवेशकों को उम्मीद थी कि इसमें देरी होगी या समझौता होगा. इसके बजाय, टैरिफ की पुष्टि ने उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया और शुरुआती कारोबार में धारणा को प्रभावित किया. होमलैंड सिक्योरिटी नोटिस के अनुसार, नए शुल्क बुधवार को सुबह 12:01 बजे पूर्वी मानक समय (EDT) या रात 9:31 बजे भारतीय मानक समय (IST) से अमेरिका में उपभोग के लिए आने वाले या गोदाम से निकाले जाने वाले सामानों पर लागू होंगे.
पिछले हफ्ते की की तेजी के बाद मुनाफावसूली: पिछले हफ्ते जीएसटी रिफॉर्म को लेकर आशावाद के चलते अच्छी तेजी के बाद, निवेशकों ने मुनाफा कमाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि सरकार दिवाली तक, जो भारत का सबसे व्यस्त खरीदारी का मौसम होता है, कई वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की दरें कम करने का इरादा रखती है. जिन प्रस्तावों पर चर्चा हो रही है उनमें छोटी कारों पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी करना और हेल्थ एवं लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम को घटाकर 5 फीसदी या शून्य करना शामिल है. मंगलवार को वित्तीय शेयरों में गिरावट का रुख रहा, निफ्टी बैंक इंडेक्स 1.3 फीसदी और निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स लगभग 2 फीसदी नीचे देखा गया. जबकि एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक दोनों में लगभग 1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. आईटी कंपनियां, जो अपने रेवेन्यू का एक बड़ा हिस्सा अमेरिका से कमाती हैं, 0.6 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुईं.
विदेशी निवेशकों की बिकवाली: विदेशी निवेशकों (एफआईआई) ने 25 अगस्त को भारतीय इक्विटी से 2,466 करोड़ रुपये और निकाले, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 3,176.69 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की. यह बिकवाली एक व्यापक रुझान का हिस्सा है: एफआईआई ने अगस्त के पहले पखवाड़े में आठ क्षेत्रों में लगभग 31,889 करोड़ रुपये की बिकवाली की है, जिसमें वित्तीय और प्रौद्योगिकी क्षेत्र सबसे आगे रहे. इस महीने अब तक शुद्ध इक्विटी बिक्री 20,976 करोड़ रुपये रही है, जो जुलाई की निकासी को बढ़ाती है. इस साल अब तक एफआईआई शेयर बाजार से लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपए निकाल चुके हैं. ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने 13 अगस्त को कहा कि भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की स्थिति “दशक के निचले स्तर” पर है. हालांकि स्थिर घरेलू निवेश इस प्रभाव को कम करने में मदद कर रहा है, विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि यह उछाल अल्पकालिक साबित हो सकता है.
रुपए में आई गिरावट: मंगलवार को भारतीय रुपया लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ 0.1 फीसदी गिरकर 87.68 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, क्योंकि व्यापारी 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहे थे. रुपये में गिरावट से शेयर बाजारों में बिकवाली का दबाव बढ़ गया, क्योंकि कमजोर रुपया इंपोर्ट कॉस्ट में इजाफा करता है और कॉरपोरेट कॉर्पोरेट मार्जिन को कम करता है. इस बीच, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा फेडरल रिजर्व की गवर्नर लिसा कुक को मॉर्गेज फ्रॉड के आरोपों का हवाला देते हुए हटाने की घोषणा के बाद भी डॉलर दबाव में रहा. यह एक अभूतपूर्व कदम था जिसने फेड की स्वतंत्रता में विश्वास को हिला दिया. डॉलर इंडेक्स, जो विभिन्न करेंसी के मुकाबले डॉलर की स्थिति पर नज़र रखता है, सोमवार को 0.7 फीसदी की बढ़त के बाद 0.05 फीसदी गिर गया. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि रुपये में लगातार गिरावट से दबाव बढ़ रहा है और विदेशी संस्थागत निवेश पर और असर पड़ सकता है.
विदेशी शेयर बाजारों में गिरावट: वाशिंगटन में ताजा राजनीतिक उथल-पुथल और नीतिगत अनिश्चितता के बढ़ने से निवेशकों के बीच ग्लोबल शेयर बाज़ार रिकॉर्ड ऊँचाई से नीचे गिर गए. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह फेडरल रिज़र्व की गवर्नर लिसा कुक को बोर्ड से हटा रहे हैं और उन पर मॉर्गेज लोन हासिल करने में अनियमितताओं का आरोप लगाया. राष्ट्रपति के फेड के साथ हालिया टकराव ने केंद्रीय बैंक की 16-17 सितंबर की बैठक से पहले नीतिगत दृष्टिकोण को धूमिल कर दिया. जापान का निक्केई लगभग 1 फीसदी गिर गया, जबकि यूरोप का STOXX 600 0.8 फीसदी टूटा. फ्रांस में, सरकार की अस्थिरता ने बॉन्ड और बैंकिंग शेयरों में भारी गिरावट को बढ़ावा दिया. निवेशक अब शुक्रवार को जारी होने वाले अमेरिकी व्यक्तिगत उपभोग व्यय के आंकड़ों का इंतज़ार कर रहे हैं, जो फेड का पसंदीदा महंगाई इंडिकेटर है.
कच्चा तेल दो सप्ताह के पीक पर: कच्चे तेल की कीमतें मंगलवार को गिरीं, लेकिन दो सप्ताह के उच्चतम स्तर के आसपास रहीं, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए बढ़ती इनपुट कॉस्ट को लेकर चिंताएं बढ़ गईं. ब्रेंट क्रूड 51 सेंट या 0.7 फीसदी गिरकर 68.29 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट 57 सेंट या 0.9 फीसदी गिरकर 64.23 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. पिछले सत्र में दोनों बेंचमार्क लगभग 2 फीसदी चढ़े थे, जिसमें WTI अपने 100-दिवसीय मूविंग एवरेज से ऊपर चला गया था, क्योंकि व्यापारी रूस-यूक्रेन संघर्ष में संभावित आपूर्ति व्यवधानों के घटनाक्रम पर नजर रख रहे थे.
निवेशकों को 6 लाख करोड़ का नुकसान
शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने से निवेशकों को भी मोटा नुकसान हुआ है. निवेशकों का नुकसान बीएसई के मार्केट कैप से जुड़ा हुआ होता है. आंकड़ों के अनुसार एक दिन पहले बीएसई का मार्केट कैप 4,55,02,643.25 करोड़ रुपए था, जो मंगलवार को शेयर बाजार बंद होने के बाद 4,49,39,255.92 करोड़ रुपए पर आ गया. इसका मतलब है कि निवेशकों को 26 अगस्त के दिन 5,63,387.33 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार तीन कारोबारी दिनों में निवेशकों को 6,88,156.53 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है